चीन की तेजी से बढ़ती सैन्य ताकत और हथियारों का जखीरा पहले ही वैश्विक चिंता का विषय था, लेकिन अब China FOBS nuclear missile threat ने अमेरिका को और सतर्क कर दिया है। Defense Intelligence Agency (DIA) ने 13 मई 2025 को चेतावनी दी कि अगले दस सालों में चीन कम पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में दर्जनों परमाणु हथियारों से लैस Fractional Orbital Bombardment System (FOBS) मिसाइलें तैनात कर सकता है। ये मिसाइलें पारंपरिक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBMs) की तुलना में बहुत कम समय में अमेरिका को निशाना बना सकती हैं। US China nuclear arms race में यह नया मोड़ क्या है, और क्यों अमेरिका इसे इतना बड़ा खतरा मान रहा है? आइए, इसकी गहराई में उतरें।

FOBS Kya Hai aur Kyun Hai Khatarnak?
Fractional Orbital Bombardment System (FOBS) एक ऐसी मिसाइल तकनीक है, जिसमें परमाणु या गैर-परमाणु हथियारों को कम पृथ्वी कक्षा में प्रक्षेपित किया जाता है। यह मिसाइल अपने लक्ष्य पर हमला करने से पहले पूर्ण कक्षा पूरी नहीं करती, बल्कि कक्षा से बाहर निकलकर (de-orbit) सीधे लक्ष्य पर हमला करती है। DIA के अनुसार, FOBS मिसाइलें पारंपरिक ICBMs की तुलना में अधिक खतरनाक हैं क्योंकि:
- अप्रत्याशित हमला: ICBMs के पास निश्चित प्रक्षेप पथ होते हैं, लेकिन FOBS का हमला किसी भी दिशा से हो सकता है, जैसे दक्षिणी ध्रुव के रास्ते, जहां अमेरिका के रडार सिस्टम कमजोर हैं।
- कम चेतावनी समय: ये मिसाइलें तेजी से लक्ष्य तक पहुंचती हैं, जिससे रक्षा प्रणालियों को प्रतिक्रिया देने का समय नहीं मिलता।
- रडार से बचाव: FOBS की निचली कक्षा और अप्रत्याशित पथ इसे अमेरिका के प्रारंभिक चेतावनी सिस्टम और मिसाइल रक्षा प्रणालियों के लिए मुश्किल बनाते हैं।
DIA की रिपोर्ट के मुताबिक, 2035 तक चीन के पास 60 ऐसी मिसाइलें हो सकती हैं, जबकि रूस के पास 12। यह खतरा अभी भविष्य का है, क्योंकि कोई भी देश इसे पूरी तरह तैनात नहीं कर सका है।
FOBS ka Itihas: Cold War se Connection
FOBS का कॉन्सेप्ट नया नहीं है। शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ ने 1960 के दशक में R-36O मिसाइल के साथ FOBS विकसित किया था। यह मिसाइल अमेरिका के उत्तर ध्रुव की ओर केंद्रित रडार सिस्टम को चकमा देने के लिए बनाई गई थी। 1968 से 1983 तक तैनात इस सिस्टम को Outer Space Treaty (1967) और SALT II Treaty (1979) के बाद हटा लिया गया, क्योंकि ये संधियां अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों की तैनाती को सीमित करती थीं।
हालांकि, FOBS तकनीक पूरी तरह गायब नहीं हुई। 2021 में चीन ने Long March 2C रॉकेट के जरिए एक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) को कक्षा में प्रक्षेपित कर FOBS का परीक्षण किया। इसने न केवल कक्षा में प्रवेश किया, बल्कि पृथ्वी पर वापस लौटकर अपने लक्ष्य की ओर हाइपरसोनिक गति से बढ़ा। यह परीक्षण अमेरिका के लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि यह तकनीक पहले कभी नहीं देखी गई थी।
America ka Jawab: Golden Dome Missile Defense
FOBS के खतरे को देखते हुए, अमेरिका ने Golden Dome मिसाइल रक्षा प्रणाली को तेजी से विकसित करने का फैसला किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 27 जनवरी 2025 को एक कार्यकारी आदेश जारी कर पेंटागन को 60 दिनों में इस प्रणाली की योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। यह प्रणाली जमीन, हवा, समुद्र और अंतरिक्ष से आने वाली किसी भी मिसाइल को रोकने के लिए डिज़ाइन की जा रही है।
हालांकि, Golden Dome की राह आसान नहीं है। Congressional Budget Office (CBO) ने चेतावनी दी है कि इसे पूरी तरह लागू करने में 20 सालों में $542 बिलियन तक का खर्च आ सकता है। इसके अलावा, अंतरिक्ष आधारित रक्षा प्रणालियां नई हथियारों की दौड़ को बढ़ावा दे सकती हैं, जिससे रूस और चीन जैसे देश अपनी प्रति-रणनीतियां विकसित करें।
Bharti Nitiyon par Asar
चीन का FOBS भारत के लिए भी चिंता का विषय है। हालांकि यह तकनीक मुख्य रूप से अमेरिका को निशाना बनाने के लिए है, लेकिन भारत को भी अपनी परमाणु और मिसाइल रक्षा प्रणालियों को मजबूत करना होगा। Financial Express के अनुसार, भारत को अपनी नौसैनिक और अंतरिक्ष क्षमताओं में निवेश बढ़ाना चाहिए, जैसे कि अधिक सैन्य उपग्रह और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें। भारत की Agni-V मिसाइल और Ballistic Missile Defense (BMD) प्रणाली को और उन्नत करने की जरूरत है ताकि क्षेत्रीय खतरों का मुकाबला किया जा सके।
FAQs: China FOBS Nuclear Missile Threat
1. FOBS मिसाइलें क्या हैं?
FOBS (Fractional Orbital Bombardment System) मिसाइलें कम पृथ्वी कक्षा में परमाणु हथियार ले जाती हैं और अप्रत्याशित दिशाओं से हमला करती हैं।
2. FOBS ICBM से कैसे अलग है?
ICBM का प्रक्षेप पथ निश्चित और ऊंचा होता है, जबकि FOBS निचली कक्षा में रहकर रडार और रक्षा प्रणालियों को चकमा देता है।
3. Golden Dome क्या है?
यह अमेरिका की मिसाइल रक्षा प्रणाली है, जो FOBS और अन्य मिसाइल खतरों को रोकने के लिए बनाई जा रही है।
4. भारत पर FOBS का क्या प्रभाव हो सकता है?
चीन का FOBS भारत की परमाणु और मिसाइल रक्षा रणनीतियों को चुनौती दे सकता है, जिसके लिए भारत को अपनी क्षमताएं बढ़ानी होंगी।
Niskarsh
China FOBS nuclear missile threat ने US China nuclear arms race को नई दिशा दी है। चीन की यह तकनीक अमेरिका के लिए एक बड़ा खतरा है, क्योंकि यह रडार और मिसाइल रक्षा प्रणालियों को आसानी से चकमा दे सकती है। Golden Dome missile defense इस खतरे का जवाब देने की कोशिश है, लेकिन यह अपने आप में कई चुनौतियां लाता है। भारत को भी इस बदलते परिदृश्य में अपनी रक्षा रणनीतियों को मजबूत करना होगा। क्या यह नई हथियारों की दौड़ वैश्विक स्थिरता को प्रभावित करेगी? अधिक अपडेट्स के लिए vacancytarget.com पर बने रहें!
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